hindisamay head
:: हिंदी समय डॉट कॉम ::
विश्‍व धर्म सम्‍मेलन (16 फरवरी 2023), मुखपृष्ठ संपादकीय परिवार

विश्व-धर्म-महासभा

स्वामी विवेकानंद

शिकागो, ११ सितंबर, १८९३

अमेरिकावासी बहनों तथा भाइयों,

आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया है, उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा है। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परंपरा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ; धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूँ; और सभी संप्रदायों एवं मतों के कोटि-कोटि हिंदुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूँ।

मैं इस मंच पर से बोलनेवाले उन कतिपय वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिन्होंने प्राची के प्रतिनिधियों का उल्लेख करते समय आपको यह बतलाया है कि सुदूर देशों के ये लोग सहिष्णुता का भाव विविध देशों में प्रसारित करने के गौरव का दावा कर सकते हैं। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते, वरन् समस्त धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार करते हैं। मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है, जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता है कि हमने अपने वक्ष में यहूदियों के विशुद्धतम अवशिष्ट अंश को स्थान दिया था, जिन्होंने दक्षिण भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी, जिस वर्ष उनका पवित्र मंदिर रोमन जाति के अत्याचार से धूल में मिला दिया गया था। ऐसे धर्म का अनुयायी होने में मैं गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने महान जरथुष्ट्र जाति के अवशिष्ट अंश को शरण दी और जिसका पालन वह अब तक कर रहा है।...

भाइयो, मैं आप लोगों को एक स्तोत्र की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूँ, जिसकी आवृत्ति मैं अपने बचपन से करता रहा हूँ और जिसकी आवृत्ति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं :

रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव॥...

पूरी सामग्री पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

विमर्श

12वें विश्व हिंदी सम्मेलन पर विशेष

अपनी पहचान बनाती हिंदी

रजनीश कुमार शुक्ल

विश्व मंच पर भारत जितना मजबूत होगा, भारत की भाषाएं भी उतनी ही मुखरता से वैश्विक कार्यव्यवहार और व्यापार की भाषा के रूप में उमरेंगी बारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन फिजी के नांदी शहर में आयोजित हो रहा है। पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में 1975 में आयोजित किया गया था, जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधि जुड़े थे। जहाँ तक विश्व भाषा के रूप में हिंद की बात है तो 10 जून, 2022 हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के लिए एक ऐतिहासिक दिन सबित हुआ। इस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित बहुभाषावाद संबंधी एक प्रस्ताव में पहली बार हिंदी भाषा का उल्लेख हुआ । प्रस्ताव में बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं के अतिरिक्त हिंदी, बांग्ला, उर्दू, पुर्तगाली, स्वाहिली और फारसी को संयुक्त राष्ट्र की सहकारी कामकाज की भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। यह संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के तरीके में बड़े परिवर्तन का संकेत है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की छह आधिकारिक भाषाएं हैं। इनमें अरबी, चीनी (मंदारिन), अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश शामिल हैं, किंतु संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के कामकाज को दो ही भाषाएं हैं- अंग्रेजी और फ्रेंच बहुभाषावाद को संयुक्त राष्ट्र के बुनियादी मूल्यों में गिना जाता है। इस संदर्भ में एक फरवरी, 1946 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के पहले सत्र में अपनाए गए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 13 (1) का उल्लेख आवश्यक है। इसमें कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र अपने उद्देश्यों को तब तक प्राप्त नहीं कर सकता, जब तक कि दुनिया के लोगों को इसके उद्देश्यों और गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी न हो। भारत इस उद्देश्य की प्राप्ति की राह में संयुक्त राष्ट्र के साथ खड़ा है। 2018 से ही भारत संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग के साथ साझेदारी कर रहा है, जिसका लक्ष्य हिंदी भाषा में संयुक्त राष्ट्र की पहुंच को बढ़ाना और दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले लोगों को जोड़ना है। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट और इसके इंटरनेट मीडिया खातों के माध्यम से हिंदी में संयुक्त राष्ट्र के समाचार पहले से ही प्रसारित किए जा रहे हैं। यह भी एक तथ्य हैं कि हिंदी, बांग्ला और उर्दू बोलने वालों की कुल संख्या मंदारिन बोलने वालों से अधिक हैं…


वैचारिकी संग्रह
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड – 1
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 2
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 3
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 4
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 5
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 6
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 7
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 8
दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन खंड - 9

संरक्षक
प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल
(कुलपति)

परामर्श समिति
प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल
प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह
प्रो. प्रीति सागर
प्रो. अवधेश कुमार
प्रो. अखिलेश कुमार दुबे

संयोजक
डॉ. रामानुज अस्‍थाना

संपादक
डॉ. अमित कुमार विश्वास
ई-मेल : editor@hindisamay.com

संपादकीय सहायक
डॉ. कुलदीप कुमार पाण्‍डेय
ई-मेल : editor@hindisamay.com

तकनीकी सहायक
रविंद्र सा. वानखडे

विशेष तकनीकी सहयोग
डॉ. अंजनी कुमार राय
डॉ. गिरीश चंद्र पाण्‍डेय

आवश्यक सूचना

हिंदीसमयडॉटकॉम पूरी तरह से अव्यावसायिक अकादमिक उपक्रम है। हमारा एकमात्र उद्देश्य दुनिया भर में फैले व्यापक हिंदी पाठक समुदाय तक हिंदी की श्रेष्ठ रचनाओं की पहुँच आसानी से संभव बनाना है। इसमें शामिल रचनाओं के संदर्भ में रचनाकार या/और प्रकाशक से अनुमति अवश्य ली जाती है। हम आभारी हैं कि हमें रचनाकारों का भरपूर सहयोग मिला है। वे अपनी रचनाओं को ‘हिंदी समय’ पर उपलब्ध कराने के संदर्भ में सहर्ष अपनी अनुमति हमें देते रहे हैं। किसी कारणवश रचनाकार के मना करने की स्थिति में हम उसकी रचनाओं को ‘हिंदी समय’ के पटल से हटा देते हैं।
ISSN 2394-6687

हमें लिखें

अपनी सम्मति और सुझाव देने तथा नई सामग्री की नियमित सूचना पाने के लिए कृपया इस पते पर मेल करें :
editor@hindisamay.com